लेखनी प्रतियोगिता -21-Jul-2022
कभी एकांत रस्ते से
अकेले तुम जो गुजरो तो
पलटकर देखना शायद
वहीं पर मैं भी मिल जाऊं।
सफलता की इमारत से
कभी जो नीचे देखो तो
बिछाते फूल राहों में
मैं भी एक ओर दिख जाऊं।
यूं तो मैं भी हूं एक पत्थर
बस इतनी सी गुजारिश है
प्रेम से आकर तुम मुझको
जो छू लो तो पिघल जाऊं।
Saba Rahman
24-Jul-2022 11:28 AM
Nice
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Anshumandwivedi426
24-Jul-2022 01:22 PM
Deeply thanks
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Rahman
23-Jul-2022 08:29 PM
Osm
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Anshumandwivedi426
23-Jul-2022 10:09 PM
Thanks
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Mithi . S
22-Jul-2022 02:19 PM
Nice 👍
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Anshumandwivedi426
22-Jul-2022 03:10 PM
Thanks
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